राजस्थान की साक्षी ने ससूराल सूरत में रहते हुए एलएलबी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर गुर्जर समाज का नाम किया रोशन
jainshilp samachar
जयंति एम. सोलंकी, सूरत
पढाई की कोई उम्र नहीं होती इसलिए मेरी उम्र हो गई है अब मैं कुछ नहीं कर सकता यह शब्द ही डिक्सनरी में से निकाल देना चाहिए। इसी तरह कई लडकियां ऐसा बोलकर पढाई करना बंद कर देती है कि अब तो मैं ससूराल में आ गई अब मुझे पढाई करने की कोई जरूरत नहीं है। किन्तु यह शब्द भी डिक्सनरी में से निकाल देना चाहिए, तो ही देश व अपने-अपने समाज का भला हो सकता है। अगर हमारा हौंसला बुलंद है तो हम किसी भी क्षेत्र में आगे बढ सकते हैं। चाहे शिक्षा हो चाहे खेलकूद हो हम किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। हरीशभाई गुर्जर जो हंमेशा नशामुक्त समाज बनाना चाहते हैं और शिक्षा, खेलकूद में जागरूकता लाने वाले कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं। अगर हमारी सोच लोगों का भला करने की है तो हमें जीवन में किसी भी तरह अच्छे व्यक्ति मिल ही जाते हैं। लेकिन हमारी सोच अच्छी होनी चाहिए। इसका प्रमाण हरीशभाई गुर्जर की पुत्रवधू ने दिया है। हरीशभाई गुर्जर के बड़े बच्चे दिपेश गुर्जर कि शादी 5वीं फरवरी, 2022 को भीलवाड़ा में गोपाल गुर्जर कि बेटी साक्षी गुर्जर से हुई थी। आज वह सूरत ससूराल में है किन्तु उनका हौशला इतना बडा है कि उसने ससूराल में रहते हुए, घर के गृहकार्य करते हुए पढाई शुरू रखी और इसका नतीजा सबके सामने है। आज सूरत में रहते समस्त गुर्जर समाज और पिता व राजस्थान का नाम साक्षी ने रोशन किया है। हरीशभाई गुर्जर की पुत्रवधू साक्षी दीपेश गुर्जर ने विवाह के पश्चात् ससूराल में रहते हुए राजस्थान, अजमेर स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में घर पर पढाई करते हुए एलएलबी में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर ससूराल का तो नाम रोशन किया है किन्तु सच्चे अर्थ में उसके पिता का नाम रोशन किया है।
गौरतलब है कि आज के इन्टरनेट युग में युवतियों से लेकर छोटे-छोटे बच्चे मोबाईल में गुम रहते हैं, इससे आपने कभी सोचा है देश का भला होगा क्या? लेकिन फिर भी लोग अपने बच्चों को अच्छा संस्कार नहीं देने के कारण वह भटक जाते हैं। आप सभी जानते है कि आज कल की लडकियों तो ठीक है किन्तु 15-15 साल तक पति के साथ जीवन गुजार ने वाली स्त्री जो 43 वर्ष से भी अधिक उम्र वाली है और सामने वाले को 30 या 32 साल की दिखाकर खुद के पति का त्याग कर अन्य पुरुष यानि जिसकी शादी हो चुकी है उनके बच्चें भी किन्तु फिर भी ऐसे पुरुषो के साथ केवल रुपयों के कारण पति का भी त्याग करने में पीछे नहीं हटती। इस तरह के संस्कार देश की प्रगति में बाधा डाल सकता है। इसलिए लोगों को अपने-अपने बच्चों को सही रास्ता दिखाना काफी जरूरी है। तो ही समाज व देश का भला होगा।