सारोली-गोडादरा शेत्र में बिल्डरो द्वारा हजारों व्यापारियों को किया जा रहा है परेशान
Builder & Businessmen
भोग बनें व्यापारी हो रहे हैं लामबंद
जैनशिल्प समाचार, सूरत
सारोली,गोडादरा विस्तार में टेक्सटाईल मार्केट का विस्तार मे कई टेक्सटाइल्स मार्केट बन गयें है और कई बिल्डरो द्वारा काम अधूरे छोड कर रूपये निवेश करनें वाले लोगों कोपरेशान किया किया जा रहा है। सारोली में कपडा मार्केट का विस्तार बढने पर कपडा व्यापारियो के लिए एक अच्छा संकेत होने से रिंग रोड से काफी व्यापारियो ने सारोली में अपना व्यवसायिक ठिकाना बनाने के लिए सोचा था। सारोली में बढते मार्केट को देखते हुवे कई बिल्डर्स ने नए नए मार्केट प्रोजेक्ट शुरू कर उसकी बुकिंग शुरू की। इन प्रोजेक्ट के लिए ब्रोकर, इन्वेस्टरो व दुकानदारों को लोक लुभावने ऑफर दिए। ब्रोकर्स ने इंनवेस्टर तथा अपने खुद की दुकान का सपना पूरा करने के लिए दुकानदारों ने सारोली के नए मार्केट प्रोजेक्ट में अपनी बुकिंग करवाई। लेकिन हाल में 3-4 सालो में बिल्डरों की मनमानी से कई मार्केट प्रोजेक्ट्स शुरू ही नही हुवे, या अधूरे पडे है। बिल्डर अपनी मनमानी से इन्वेस्टर व दुकानदारों से किस्तें भरवा रहे है। लेकिन उनको अपनी दुकानो पर कब कब्जा मिलेगा। दुकानदारों व इन्वेस्टरों ने अपने खून पसीने की कमाई बिल्डरों के झांसे में आकर जमा करवाई है व अधुरे प्रोजेक्ट की वर्षो से किस्तें बिल्डर्स के दबाव में भर रहे है। अब इन्वेस्टर्स व दुकान खरीददारों की हालत खराब हो रही है। एक तरफ किस्तें व एक तरफ दूसरे मार्केटों का भाडा यानी डबल नुकसान झेल रहे है। इससे ब्रोकर्स को भी तकलीफ हो रही है। उनके मारफत बेची गई दुकानों का पजेसन न मिलने से दुकानदार व इन्वेस्टर्स ब्रोकर्स पर अविश्वास करने लगे है। उनसे पजेशन अथवा अपना भरा पैसा वापसी का दबाव आ रहा है। इसलिये हाल सारोली मार्केटो के पीडित ब्रोकर्स ने सारोली ब्रोकर्स एवं व्यापारी संघर्ष समिति का गठन किया है।
अधूरे मार्केट प्रोजेक्ट के मुद्दे पर दिनांक 12 सितंबर को एक जनरल मीटिंग का आयोजन किया गया है जिसमें सारोली के सभी ब्रोकर्स व व्यापारी इंसवेस्टर शामिल होंगे व विचार विमर्श कर अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा कर दुकानों का पजेशन देने अथवा जमा किये पैसे ब्याज सहित वापस दिलाने व अन्य समस्याओं व मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। बता दें कि हजारों लोगों के पास से बिल्डरो लाखों रूपये लेने के बाद भी उन्हे दुकान का कब्जा नहीं देने से कई व्यापारी लामबंद होकर आगें की रणनीति की तैयारी शुरू कर रहें हैं!
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