महंत नरेंद्र गिरि को आज दी जाएगी समाधि
प्रयागराज - महंत नरेंद्र गिरि ने खुदकुशी कर जीवन लीला समाप्त कर ली होने सूत्रों से जानकारी मिली है। लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि पवन महाराज की ओर से स्वामी आनंद गिरि के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मामले में स्वामी आनंद गिरि समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और जांच एसआईटी को सौंपी गयी है। 18 सदस्यीय एसआईटी का नेतृत्व सीओ अजीत सिंह चौहान कर रहे हैं। महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम इच्छा थी कि उनकी समाधि बाघंबरी मठ में नींबू के पेड़ के पास दी जाए। यह बात उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भी लिखी है। आज महंत नरेंद्र गिरि को भू-समाधि दी जाएगी। इससे पहले उनका पार्थिव शरीर बाघंबरी मठ से स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया। वहां 5 डॉक्टरों की टीम पोस्टमार्टम कर रही है। इसके बाद संगम में स्नान कराने के बाद दोपहर तक बाघंबरी मठ में ही महंत को भू-समाधि दी जाएगी। महंत के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को देखते हुए प्रयागराज में शहरी क्षेत्र के 12वीं तक के सभी स्कूल-कॉलेज में छुट्टी कर दी गई है।
बता दे कि महंत नरेंद्र का 20 सितंबर को मठ के कमरे में फांसी के फंदे पर शव लटका मिला था। शव के पास ही कई पेज का वसीयतनुमा सुसाइड नोट मिला था। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 2 एडिशनल एसपी, 4 सीओ, 8 थानेदार, 2 कंपनी पीएसी और 400 दरोगा-सिपाही की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा मॉनिटरिंग के लिए डीआईजी/एसएसपी, आईजी रेंज और एडीजी जोन खुद मौजूद रहेंगे। पुलिस स्वामी आनंद गिरी से प्रयागराज पुलिस लाइंस में पूछताछ कर रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से महंत की मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। महंत की मौत का प्रकरण हाई प्रोफाइल होने के कारण सोमवार शाम से देर रात तक प्रयागराज पुलिस का कोई अफसर खुल कर कुछ कहने को तैयार नहीं हुआ। लेकिन, दबी जुबान में पुलिस अफसरों का कहना है कि अब तक की जांच में यही सामने आया है कि महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि उन पर 2012 से ही हावी हो गया था। इसके पीछे चाल-चरित्र और संपत्तियों से जुड़ा विवाद अहम वजह थी। महंत और आनंद एक-दूसरे के राजदार थे। महंत ने हाल के वर्षों में ख्याति कुछ ज्यादा ही अर्जित कर ली थी तो उन्हें आनंद की नाराजगी से खुद की प्रतिष्ठा को लेकर डर लगने लगा था। आनंद उन्हें डराता था कि यदि वह उनका उत्तराधिकारी नहीं बन सका तो उनके चाल-चरित्र संबंधी वीडियो उजागर कर देगा। आनंद की धमकियों से डरे श्रीमहंत को कोई और विकल्प नहीं सूझा तो वे आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर हो गए।