महर्षि वाल्मिकी की जयंति हर्षोल्लास के साथ मनाई, सफाई कर्मचारियों का किया सम्मान

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महर्षि वाल्मिकी की जयंति हर्षोल्लास के साथ मनाई, सफाई कर्मचारियों का किया सम्मान

महाबार रोड । महर्षि वाल्मिकी की जयंति रविवार को स्थानीय महाबार रोड़ स्थित शिव शक्ति ओटोमोबाईल शो रूम पर हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। एससी मोर्चा के जिला मिडिया प्रवक्ता धर्मेन्द्र फुलवारियां ने बताया कि महर्शि वाल्मिकी की जयंति एससी मोर्चा के जिला महामंत्री ईष्वरचंद नवल के नेतृत्व में मनाई गई। जहां सफाई कर्मचारियों का सम्मान किया गया। पार्शद प्रतिनिधि ओमप्रकाष जाटोल ने बताया कि महाकाव्य रामायण युगों-युगों तक हिंदू धर्म के एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक ग्रंथ के तौर पर पढ़ा जाएगा। रामायण लिखने का श्रेय एक ऐसे ऋषि को जाता है, जो कभी डाकू हुआ करते थे। हालांकि बाद में नारद मुनि के साथ हुई मुलाकात के बाद उनका ह्रदय परिवर्तित हुआ और उन्होंने लूट पाट करना छोड़कर सत्कर्म का मार्ग अपनाया। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, अपने पापों की क्षमा मांगने के लिए रत्नाकर ने ब्रह्मा जी का कठोर तप किया। तप में लीन रत्नाकर के शरीर पर दीमक की मोटी परत चढ़ गई। ब्रह्मा जी ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें वाल्मीकि नाम दिया। कहा जाता है कि जब प्रभु श्रीराम ने माता सीता को त्याग दिया था, तब वह ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी थीं, जहां उन्होंने अपने दोनों पुत्र लव और कुश को जन्म दिया था। वहीं मिश्रीमल जैलिया ने बताया कि ऋषि वाल्मीकि ने ही महाकाव्य रामायण लिखी। ऋषि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। हर साल कि भांति इस साल भी वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है। एससी मोर्चा के जिला महामंत्री ईष्वरचंद नवल ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के द्वारा ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण महाकाव्य रामायण की रचना की गई थी। वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई रामायण को सबसे प्राचीन माना जाता है। संस्कृत भाषा के प्रथम महाकाव्य की रचना करने के कारण महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है। महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर देशभर में कई जगह धार्मिक कार्यक्रम होते है। वहीं कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा सफाई कर्मचारियों को श्रीफल, सोल व महर्शि वाल्मिकी की प्रतिमा देकर सम्मान किया गया। वहीं धन्यवाद कार्यक्रम संयोजक ओमप्रकाष सिंगारिया ने दिया। इस दौरान जिला मंत्री अनिता चैहान, एडवोकेट मुस्कान मेघवाल, मधु परिहार, गोपालदास बडारिया, राकेष कुलदीप, जगदीष गोंसाई, सवाईराम मेघवाल, जगदीष जाटोल सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।